On Mar 18, 2015 Shri Ravi Shankar ji, Law Minister of India, represented our prime minister Shri Narendra Modi Ji and declared that all the demands of “the great Yamuna Muktikaran Pad Yatra” had been accepted by the Modi government. Shri Modi Ji’s election campaign assured Saints, Saadhu and Brajwasis of Braj-Gokul-Vrindavan that dark era of discrimination against Hindu’s religious sentiments and Bharatiya (Indian) Culture would be abolished and symbols of identity of “real” Bharat would be restored.
Yamuna Ji not only represents honor of our national anthem, but also provides life line to over 80 million citizen of this country. Its been over 3 years, not a single step has been taken to address the problem. None of the demands was implemented into actions. After 3 years, we are standing where we left of.
It is extremely painful to receive similar experience from Shri Modi Ji as we have been receiving from previous governments.
Patience of Saints, Saadhus, Brajwasis from Braj-Vrindavan, and all those who’s life depend on real Yamuna River has depleted now.
During Radha Rani Braj Yatra 2017, a summit was organized by Saints and Sadhu’s of Braj-Vrindavan representing reputed Asharms and Sects, along with representatives of Shri Maan mandir Seva Sansthan and President of Bhartiya Kisan Union (Bhanu) in Vrindavan yesterday. The summit was attended by over 15,000 people including yatries of Radha Rani Braj Yatra.
Details of the activity of the summit was released through Press Release. Here is a copy of the same:
*प्रेस विज्ञप्ति*
*”यमुनोपासक संगोष्ठी*
वृन्दावन/ भगवान श्री कृष्ण की पटरानी और ब्रजमंडल की पहचान हो रही दुर्दशा से पूरी तरह से आहत ब्रज के साधू सन्तो,महंतो,आचार्यो,कथा व्यास,भागवताचार्य और हजारो यमुना भक्तो ने यमुना की दुर्दशा पर चिंतन करते हुए आगामी आंदोलन की रणनीति की रूपरेखा तैयार की । सन्तो ने एक मत होकर एलान किया कि केंद्र की सरकार ने यमुना भक्तो के साथ धोखा किया है , जिसका परिणाम सरकार को आने वाले 2019 के चुनावों में भुगतना पड़ेगा।
वृन्दावन में यमुना के तट पर श्रीराधारानी ब्रजयात्रा के पड़ाव स्थल यमुना के बिगड़े हालातों और पूर्व में किये आंदोलनों पर चर्चा हुई । चार सम्प्रदाय के महंत फूलडोल दास महाराज की अध्यक्षता में हुई इस संगोष्ठी में सभी साधू सन्तो ने केंद्र की मोदी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। महामंडलेश्वर स्वामी चित्तप्रकाशनंद ने कहा कि सरकार से बहुत बार वार्ता हो चुकी है मगर अब तो करो या मरो के दम पर आंदोलन करना होगा। पुष्टिमार्गीय आचार्य और यमुना मुक्तिकरण अभियान के संरक्षक पंकज बाबा ने कहा कि हिंदूवादी सरकार ही यमुना जी पर धोखा दे रही है ,ऐसी स्थिति में यमुना मुक्तिकरण अभियान एकराय होकर आगामी 2019 के लोकसभा चुनावों और उससे पहले गुजरात,हिमाचल प्रदेश और यूपी के निकाय चुनावों में भाजपा का बहिष्कार कर जबाब देगा। वही उन्होंने 18 मार्च 2018 से ब्रज भूमि में ही आंदोलन करने की घोषणा भी की। फूलडोल दास महाराज ने कहा कि अब शांति शांति से काम नही होगा, अब तो क्रांति से काम होगा। महामंडलेश्वर भाष्करानंद महाराज ने अपने सम्बोधन में कहा कि या तो यमुनाजी का कार्य होगा,या फिर जीवन ही नही रहेगा।महामंडलेश्वर नबलगिरि महाराज ने कहा कि सरकार का यही रवैया रहा और यदि किसी यमुना भक्त ने क्षुब्ध होकर जल समाधि ले ली तो फिर सरकार पर जबाब नही होगा। बही भारतीय किसान यूनियन भानू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानूप्रताप सिंह ने एलान करते हुए कहा कि साधू संत और यमुना आंदोलन के प्रणेता रमेशबाबा आदेश दे और स्थान की घोषणा करे,उसके बाद किसान यूनियन के लोग ऐसा आंदोलन करेंगे कि देश ही नही विदेशो में भी उसकी चर्चा होगी। उनका आंदोलन कार्य सिद्धि तक चलता रहेगा।
तीन घंटे तक चली इस संगोष्ठी में सुन्दरदास महाराज,लाडिलिशरण, गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी,परमेश्वरदास,साध्वी मुरलिका शर्मा,आचार्य बद्रीश,सौरभ गौड़,रामजीलाल शास्त्री, यमुना मुक्तिकरण अभियान के संयोजक राधाकांत शास्त्री, सुनील सिंह,श्याम चतुर्वेदी,किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्योराज सिंह, हरेश ठेनुआ, पंकज चतुर्वेदी ,लाला चतुर्वेदी,महेश शास्त्री ने भी अपने विचार व्यक्त कर यमुना आंदोलन को पूर्ण समर्थन दिया। यमुना संगोष्ठी का सफल संचालन भागवत प्रवक्ता मृदुलकान्त शास्त्री ने किया।